सोनिया चौधरी
आज कई बड़े सवाल पूरे देश में उठ रहे हैं लोगों की जुबान पर हर जगह, हर समय बस यही बात सुनने को मिल रही है कि क्या केजरीवाल चोर हैं...? जो उन्हे विदेश जाने की अनुमति नहीं मिल रही....? क्या केजरीवाल कोई बड़ा अपराधी है...? जो अपराध करके देश से पलायन करने की फिराक में है, या फिर विदेश जाकर भारत की कोई बदनामी करने वाले हैं, या वह अपने काले धन को छुपाने के लिए विदेश जाना चाहता है कहीं ऐसा तो नहीं कि वे विदेशी ताकतों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ कोई साजिश रचने वाले हैं....?
यह बड़े सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं क्योंकि भारत सरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर जाने की अनुमति नहीं दे रही है ।
पिछले करीब डेढ़ महीने से उनकी अर्जी को उपराज्यपाल के दफ्तर में अटका कर रखा हुआ है यहां आपको बता दें कि विदेशों में किसी भी सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहले उप राज्यपाल की अनुमति लेनी पड़ेगी और फिर विदेश मंत्रालय की। जब पिछले डेढ़ महीने से उपराज्यपाल के दफ्तर में उनकी अर्जी अटकी पड़ी है तो फिर विदेश मंत्रालय में कितना समय लगेगा....? यह सोचने वाली बात है। जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को अगस्त के पहले हफ्ते में सिंगापुर जाना है।
यहां आपको हम एक बात और बता दें कि जब नरेंद्र मोदी
गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी वह कई बार विदेश जाते रहे हैं और उस समय की कांग्रेस की केंद्रीय सरकार ने उनकी विदेश यात्राओं में कभी कोई टांग नहीं अड़ाई तो फिर आज मोदी सरकार ने केजरीवाल की सिंगापुर यात्रा पर चुप्पी क्यों साध रखी है...? क्यों अभी तक उन्हें सिंगापुर जाने की अनुमति नहीं दी गई....? कहीं ऐसा तो नहीं कि केजरीवाल सिंगापुर जाकर अपने परिवार के साथ मौज मस्ती करेंगे इसलिए उन्हें अनुमति नहीं दी जा रही है।
आम आदमी के मन में आज यह सवाल जरूर उठ रहा है कि जब एक मुख्यमंत्री की अर्जी डेढ़ महीने से उपराज्यपाल के दफ्तर में अटकी हुई है तो आम लोगों का क्या होगा... ऐसा नहीं है कि अरविंद केजरीवाल कोई बड़े अपराधी हैं या अगर वह विदेश जाएंगे तो हमारे देश की बदनामी करेंगे, बल्कि वे तो भारत की राजधानी दिल्ली का नाम पूरी दुनिया में चमकाने के लिए सिंगापुर जा रहे हैं। सिंगापुर में होने वाले *विश्व शहर सम्मेलन* में भारत की राजधानी दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। क्या जब दिल्ली का नाम दुनिया में होगा तो भारत का यश नहीं बढ़ेगा...? इससे पहले भी 2019 में विदेश मंत्रालय ने मुख्यमंत्री केजरीवाल जी को कोपनहेगन के विश्व महापौर सम्मेलन में नहीं जाने दिया था जबकि इस सम्मेलन में पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने शानदार ढंग से भाग लिया था। आज दिल्ली मॉडल को देखने के लिए देश विदेशों से लोग आते हैं और दिल्ली मॉडल की सराहना करते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी और संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने दिल्ली के कामों को देख कर दिल्ली मॉडल की प्रशंसा की थी। आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बदौलत दिल्ली के अस्पतालों, स्कूलों, सड़कों, मोहल्ला क्लीनिकों, सस्ती बिजली, पानी, वगैरह ने दिल्ली मॉडल को देश विदेशों में एक चर्चा का विषय बना दिया है। और केजरीवाल के इन्हीं कामों की बदौलत पिछले चुनाव में कांग्रेस और भाजपा का दिल्ली से सूपड़ा साफ हो गया था।
यहां मेरी समझ में एक बात नहीं आती है कि केंद्र सरकार इन तथ्यों को क्यों नहीं समझ पा रही है कि वह उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली सरकार को जितना तंग करेगी केजरीवाल सरकार दिल्ली की जनता के बीच उतने ही लोकप्रिय होते चली जाएगी।
अगर केंद्र सरकार को यह डर है कि देश का कोई भी पदाधिकारी विदेश जाकर कोई आपत्तिजनक काम या बात करेगा तो विदेश मंत्रालय मार्ग निर्देशन करें। वैसे तो नेता व पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति समझते हैं और विदेश यात्राओं के दौरान संयम भी बरतते हैं। मोदी सरकार को यह डर बिल्कुल नहीं होना चाहिए कि उसका कोई विरोधी नेता विदेश जाएगा तो भाजपा सरकार की बदनामी करेगा।
अंत में मेरा तो सिर्फ यही कहना है कि केंद्र सरकार और उपराज्यपाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर यात्रा की अनुमति जल्द से जल्द दें, जिससे हमारे देश की राजधानी दिल्ली का नाम पूरी दुनिया में रोशन हो।